Monday 5 July 2021

Moral Story In Hindi

Hindi moral story





बुद्धिमान चित्रकार “


बहुत पहले, एक राजा हुआ करता था। वह बहुत ही महान और प्रतापी राजा था। एक बार युद्ध के दौरान उसकी एक आंख और एक टांग खराब हो गयी।

लेकिन फिर भी उसकी प्रजा उसका बहुत ही आदर औऱ सम्मान करती थी।राजा की राजमहल में लगी हुई सारी तस्वीरें बहुत पुरानी हो चुकी थी। राजा ने सोचा, क्यों न एक तस्वीर बनवाई जाए!

उसने मंत्री को चित्रकार को बुलवाने का आदेश जारी कर दिया।

 देश-विदेश से चित्रकार आए। लेकिन राजा की हालत देखकर कोई भी तसवीर बनाने को तैयार नहीं था, सब सोच रहे थे कि राजा तो पहले से ही अपंग है,

कहीं गलत तस्वीर बन गयी तो, गुस्से में पता नहीं क्या करेंगे। तभी 1 नौजवान ने तसवीर बनाने के लिए अपना हाथ उठाया। राजा ने उसे तस्वीर बनाने की आज्ञा दी।

 कुछ समय के प्रयत्न के बाद उसने राजा की एक बहुत सुंदर तस्वीर बनाई।

जब राजा ने उस तस्वीर को देखा तब वह भावविभोर और आश्चर्य चकित रह गया।

चित्रकार ने उसकी, एक आंख से शिकार पर निशाना साधते हुए, पालती मारकर बैठी हुई तस्वीर बनाई थी।

राजा बहुत खुश हुआ और पूछा, तुमने यह कैसे किया? जबकि कोई भी तस्वीर बनाने को तैयार नहीं हो रहा था।

नौजवान बोला, ” महाराज! मैं आपके ही राज्य का हूँ और आपके बारे में सब जनता हूँ। सब आपकी गलत तस्वीर बनने के बाद आपके गुस्सा हो जाने के कारण आपकी तसवीर बनाने से डर रहे थे,पर मुझे पता है, अगर मैं कैसी भी तसवीर बना देता वह अपको पसंद होती। अतः मैने प्रयास किया।”

राजा उसकी बनाई हुई तस्वीर से ही नहीं, बल्कि उसके उत्तर से भी बहुत खुश हुआ। और उसको इनाम के साथ अपने महल में एक पद पर उसको नौकरी पर भी रख लिया।


सीख :- ” दूसरो की कमजोरियों को नजरअंदाज कर उनकी अच्छाइयों को देखना चाहिए।”



आलस्य


एक गांव में एक जमींदार का घर था। उनके घर में ईश्वर की असीम कृपा थी। उस परिवार में 2 भाई थे, जिनकी शादी हो चुकी थी। भाइयों का आपस में बहुत प्रेम था। उनमे से बड़े भाई का एक बेटा भी था।

एक बार अचानक रात में, बड़े भाई के बेटे के सर में बहुत तेज दर्द हुआ, वह जोर जोर से रोने लगे गया। उसके मम्मी पापा दोनों की नींद खराब हो गयी। रात बहुत हो चुकी थी,

तो, सभी दवाई की दुकानें बंद हो चुकी थी।

उसकी मां ने बहुत से तरीके आजमाकर देख लिए। परन्तु किसी भी उपाय से कुछ भी नहीं हो पा रहा था।

   बच्चे का दर्द बढ़ता ही जा रहा था, वह और जोर जोर से रोने लग गया। उसकी आवाज सुनकर घर के बाकी लोग भी जग गए। बच्चे के माता पिता ने सबसे सहायता मांगी,

लेकिन कोई उनकी सहायता करने को तैयार नहीं था, बल्कि उसके घर के लोग तो यही कह रहे थे कि बच्चे को चुप कराओ, हमारी नींद खराब हो रही है।

  पास के ही झोपड़ी में एक महिला रहती थी, उसे भी रोने की आवाजें  सुनाई दी। उसे पता चल गया कि बच्चा क्यो रो रहा है, उसे भी नींद आ रही थी, पर उसने आलस्य त्याग दिया.

और उसने जल्द से काढ़ा बना दिया, और उनके घर ले गई। काढ़ा पीते ही, बच्चे को आराम हुआ और वह सो गया। उसके बाद और लोग भी चैन की नींद सो पाए।


सीख | Short Moral Stories in Hindi:- ” यदि थोड़ी सी कठिनाई के बाद अधिक सुख प्राप्त हो रहा हो तो, उस कठिनाई को झेलने में ही समझदारी है।



गधे की जीत “


एक बार एक गधा और एक सारस बहुत अच्छे मित्र थे वे दोनों जंगल में घूम रहे थे। रस्ते में बहुत सारे गड्ढे थे। दोनो सम्भल सम्भल कर चल रहे थे।तभी अचानक गधा एक गहरे गड्ढे में गिर गया।

सारस को अब चिंता होने लगी। उसने बहुत सारे प्रयास कर के देख लिए, परन्तु वह अपने मित्र को नहीं निकाल सका।  वह रोने लगा।

   पास में ही एक लकड़हारा जंगल में लकड़ियां काट रहा था। उसने सारस के रोने की आवाज सुनी, वह बात का पता लगाने के लिए वहां पहुंचा। उसने देखा कि एक गधा गड्ढे में गिरा हुआ है,

और एक सारस उसे देख कर रो रहा है।

उसने अपने लाभ के लिए गधे को निकालने का प्रयत्न किया, लेकिन गधा नहीं निकला। तब उसने सोचा, सारस को ही अपने साथ लिए चलता हूं।

   उसने गधे को जिंदा ही दफनाने के लिए बहुत सारी मिट्टी को गड्ढे में डाल दिया। और सारस को लेकर चला गया।

यहाँ , बहुत सी मिट्टी गड्ढे में भर जाने के कारण गड्ढा अब छोटा हो गया था। गधा बड़ी मुश्किल से मिट्टी से बाहर आया और फिर वह गड्ढे से भी निकल गया। उसने देखा कि, उसका मित्र तो आस-पास है ही नहीं।

  वह जंगल मे उसे ढूंढने लगा। तभी एक लकडहारा उसे दिख गया।

उसकी लकड़ियों के साथ साथ एक सारस भी उसने बांधा हुआ था। गधा अब सारी बात समझ गया, कि उसके ऊपर मिट्टी क्यों डाली गई।

   उसने अपने दोस्त को बचाने के लिए एक युक्ति बनाई। उसने युक्ति के अनुसार, कुछ अजीब सी आवाज निकली। लकडहारा घबरा कर देखने गया, कि आसपास कोई मांसाहारी जीव तो नहीं है,

उतनी देर में, गधे ने अपने दोस्त को कैद से छुड़वा लिया। दोनों वहां से भाग निकले। और घर जाकर खुशी खुशी अपनी आज के दिन की जीत को मनाने लगे।


सीख | Short Moral Stories in Hindi:- ”मुश्किलों से कभी डरना, या फिर उनसे कभी हार नही माननी चाहिए।”



कठिन रास्ता “


एक बार बहुत सी चींटियां जंगल के एक पेड़ के नीचे जमीन में अपने झुंड के साथ रहतीं थी। वे सब सभी कार्यों को बड़ी ही मेहनत लगन और ईमानदारी से करती थीं।

उन चींटियों के झुंड में बहुत सारी छोटी चीटियां थी, जो कि आपस मे मित्र थी। उन छोटी चींटियों में से छोटू चिंटी सबसे होशियार और ईमानदार थी। वह किसी भी कार्य को बहुत ही अनोखे अंदाज में करना पसंद करती थी।

जिससे कि उसको अपने कार्य में संतुष्टि होती थी। कभी कभी वह अपने इस अनोखे ढंग से कार्य करने मे विफल भी हो जाती थी लेकिन वह कभी हार नही मानती थी।

    वे सभी चीटियां बहुत ही प्रयत्नशील थी ,

अतः उन्होंने अपनी संख्या जल्द ही दोगुनी तिगुनी कर ली थी और अपना कार्यक्षेत्र भी बड़ा लिया।

   बरसात के दिन आ गए थे, कभी धूप आ रही थी कभी नहीं। एक दिन अचानक बहुत तेज बारिश आ गयी। पूरी जमीन दलदली हो गयी।

    जहां वे चीटियां रहती थी, वहां भी पानी आने लग गया। सभी चीटियां परेशान हो गई कि अब करें तो क्या करें! एक तो उनकी संख्या भी बहुत हो चुकी थी। सबको एक साथ बचा पाना मुश्किल था।

सभी बचने के उपाय सोचने लगे।

   तभी अपने पूरे समूह को छोटू चिंटी ने एक उपाय बताया, कि वे सब यहां से बाहर निकलकर सड़क के मार्ग से कहीं सूखे स्थान पर चले जाएं।

इसकी बात पर तो वैसे भी कोई भरोसा नहीं करता था। सब चींटियों ने सोचा कि, यदि हम सड़क के मार्ग से जाएंगी तो हमारी मृत्यु निश्चित ही है। यह सोचकर किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी।

यहां तक कि उसके मित्र भी उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुए।

  मार्ग कठिन जरूर था लेकिन छोटू निकल पड़ी, अकेले ही। वह सभी मुश्किलें पार कर एक पत्ते के सहारे एक सूखे स्थान पर चले गई। जब उसने पीछे अपनी जगह को देखा तो, वहां सभी चीटियां मर गई थी। सब इधर उधर पड़ी हुई थी।

उसको बहुत बुरा लगा। लेकिन फिर वह अपनी नई राह की ओर निकल पड़ा।


सीख | Short Stories in Hindi:– ” कभी भी हार नही  माननी चाहिए। “


चिड़िया के बच्चे का संघर्ष “


   एक बार एक बाग में एक आम का पेड़ था। उस पेड़ में एक चिड़िया ने अपना घोंसला बनाया था।  उस चिड़िया ने अपने घोंसले में एक अंडा दिया था।

   बाग में अक्सर लोग आते जाते रहते थे। चिड़िया का घोंसला नीचे खड़े व्यक्तियों को आराम से दिख जाता था।

  एकदिन एक युवक उस बाग में टहलने आया। उसने देखा कि, चिड़िया का घोंसला एक अंडे से भरा हुआ है। उसे उस घोसले में कुछ रूचि जगी। अब वह रोज आकर थोड़ा बाग में टहलता था,

और उस घोंसले को देखता था। दिन में चिड़िया अपने घोंसले में नही रहती थी,

वह अपने लिए खाने का इंतज़ाम करने के लिए जाती थी। उस समय ही वह युवक आता था।

   एक दिन कुछ यूं हुआ कि, युवक आया बाग में और उसकी नजर इधर उधर न जाकर सीधे चिड़िया के घोंसले में गयी। उसने देखा कि, घोंसले में जो अंडा था वह चटक गया था। लग रहा था कि अब चिड़िया का बच्चा अंडे से बाहर आ जाएगा।

युवक बहुत ही ज्यादा उत्साहित था। चटकी हुई जगह से अंडा कुछ फटा। चिड़िया का बच्चा बाहर आने की कोशिश कर रहा था। बहुत कोशिशों के बाद भी चिड़िया का बच्चा बाहर नहीं आ पाया।

वह कुछ देर के लिए रुक गया। युवक उस क्रिया को बिल्कुल ध्यान पूर्वक देख रहा था, और उसने सोचा कि उसे चिड़िया के बच्चे की मदद करनी चाहिए।

लेकिन उसे लगा कि यदि वह अभी अंडे को हाथ लगाएगा तो बच्चे को नुकसान भी हो सकता है अतः उसने पास में पड़ी एक डंडी उठाई और  अंडे में लकड़ी की सहायता से इतना छेद कर दिया जिससे बच्चा बाहर आ जाए।

Intrusting Part of this short stories for kids in hindi- बच्चा बाहर निकल गया आसानी से। परन्तु उसके पंख और उसका शरीर सूजा हुआ था। युवक ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। और वहां से चला गया।

   चिड़िया के बच्चे का पूर्ण रूप से विकास नही हो पाया । असल में अंडे से बाहर आने के लिए जो वह प्रयास कर रहा था,वह हर चिड़िया के लिए आवश्यक होता है। वह क्रिया उसके पंखों के लिए अतिआवश्यक होती है,

उसकी वजह से ही वे भविष्य में अच्छे पंख पाकर उड़ सकते हैं। परन्तु उस युवक की  नादानी की वजह से वह बच्चा अविकसित ही रह गया और कभी भी नहीं उड़ पाया।


सीख | Short Stories in Hindi:- ” किसी की मदद करने से पहले उन परिस्थितियों को अच्छी तरह से जांच परख लेना चाहिए।”


साहसी वीरू की कहानी”


   बहुत समय पहले एक गांव में एक वीरू नाम का 15 वर्षीय बालक रहता था। वह विद्यालयी छात्र था। उसका वास्तविक नाम वीरमणि था। वह बहुत ही होशियर और बहादुर था।

उसके विद्यालय में वह बहादुरी के क्रियाकलापों में अक्सर हिस्सा लिया करता था। उसे पुलिस की बहादुरी की कहानियों में बहुत ही उत्साह आता था।

वह बचपन से ही अपने साथ के  बच्चों से बहुत अलग था। उसे दूसरों की मदद करना बहुत ही अच्छा लगता था और वह खेलकूद की बजाय इन कार्यों को करके अधिक सन्तुष्ट रहता था।

एक बार वह सुबह-सुबह अपने विद्यालय को जा रहा था। उसने देखा कि, उसके गांव के कुएं के पास बहुत ही भीड़ इकट्ठा हुई थी, उसे लगा कि जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ है।

नहीं तो इतनी भीड़ अपने लिए पानी भरने के लिए तो कभी नहीं आएगी। तभी वह जल्दी से अपना विद्यालय भूलकर उस कुए के पास गया।

   कुएं के पास जाकर उसने देखा तो, एक महिला कुएं की ओर देखते हुए बहुत रो रही थी। वीरू ने पूछा, ” क्या हुआ है आंटी जी?” महिला इतना ज्यादा रो रही थी कि उसके मुह से साफ साफ आवाज भी नहीं आ रही थी।

तभी वीरू को पास में खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि, उस महिला का 2 वर्षीय बालक कुँए में गिर गया है। जिस वजह से वह महिला बहुत ही रो रही है।

  वीरू को बहुत आश्चर्य हुआ कि, कोई भी उस महिला की मदद नहीं कर रहा है। सब वहां बेबाक मूर्ति बने खड़े थे। कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नहीं था।

सब केवल और केवल स्थिति को तमाशा बनाकर देखने के लिए आए थे।

Intrusting Part of this short stories for kids in hindi- वीरू ने बिना किसी सोच विचार के अपना बस्ता उतारा और कुएं की ऊपरी सतह पर रख दिया।

वह और देर न करते हुए सीधे कुएं में कूद गया। कुआं बहुत ही संकरा था।

उस कुएं में जाने का अर्थ था स्वयं यमराज को अपने प्राण लेने के लिए बुलाया जाना।

  परन्तु वह बहुत ही बहादुर था। उसने कुएं के अंदर जाकर जल्द से छोटे दो वर्षीय बालक को अपनी गोद में उठाया और बाहर निकाल लाया। उस बच्चे की मां ने वीरू को बहुत दुआएं दीं।

आसपास के लोगों ने भी उसको बहुत  बधाई दी। उसके साथी भी इस घटना को देख रहे थे। अब वीरू और उसके साथी सभी एक साथ विद्यालय जरा देर से पहुँचे।

  विद्यालय में देर से पहुंचने का कारन जब मास्टर जी ने पूछा तो वीरू ने  गर्दन नीचे झुका ली परन्तु उसके साथियों ने सारी घटना की व्याख्या गुरुजी के सामने कर दिया,

कि कैसे वीरू ने अपनी जान की परवाह किये बिना ही एक छोटे से बच्चे के प्राणों की रक्षा की। गुरुजी इस घटना के व्याख्यान को सुनकर बहुत खुश हुए उन्होंने वीरू को शाबासी दी, और पूरी प्रार्थना सभा के सामने उसे इनाम भी दिया।

इसी के साथ गुरुजी ने सभी बच्चों को वीरू की तरह ही निडर और बहादुर बनाने का सन्देश भी दिया।


सीख | Hindi Short Stories :- ” मुश्किल में फंसे लोगों की सहायता से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए, चाहे इसके लिए जान भी दांव पर क्यों न लगानी पड़ जाए।”



चतुर ज्योतिषी “


एक बड़ा सा राज्य था, वहाँ एक राजा का शासन था। एक बार की बात है,

एक ज्योतिष उस राज्य में आए, सभी लोग ज्योतिष के पास जाते और अपना भविष्य के बारे में पूछते! ज्योतिष बहुत सटीक भविष्यवाणी करता था।

ऐसे ही थोड़े ही दिनों में उसकी ख्याति दूर दूर तक फैल गयी। राजा ने भी उसके बारे में अपने मंत्रीगणों से सुना।

        राजा ने सैनिकों को, ज्योतिषी को जल्द से जल्द अपना भविष्य जानने के लिए सममान सहित महल में बुलवाने के लिए आदेश दिये।
ज्योतिष महल में आया,

उसका खूब स्वागत हुआ और उससे राजा का भविष्य बताने के लिए कहा गया। राजा बहुत उत्साहित था।

  ज्योतिषी ने कहा,- “महाराज मैं आपकी हस्तरेखाओं को देखकर आपका भविष्य बताऊंगा।”
महाराज ने अपना हाथ ज्योतिषी के सामने फैला दिया।

     ज्योतिषी ने भविष्य देखना प्रारम्भ किया और उसके बारे में तथा राज्य के बारे मे बहुत अच्छी अच्छी बातें और घटनाओं के बारे में बताया।

लेकिन अब बुरे घटनाक्रम को बताने का समय था। तो ज्योतिष ने महाराज से बताने के लिए आज्ञा मांगी।

राजा से तो सब्र हो ही नहीं रहा था। राजा ने कहा,- ” आप निःसंकोच सारी बातें बताइये, डरने की आवश्यकता नहीं है।”

अब ज्योतिष एक के बाद एक राज्य और राजा के दुर्भाग्य के बारे में बताने लगा। अब अशोभनीय बातें किसे पसंद! तो थोड़ी ही देर में राजा को अत्यंत क्रोध आ गया।

राजा ने कहा,- ” रुक जाओ, और अब अपने भविष्य के बारे में मुझे यह बताओ कि तुम्हारी मृत्यु कब होने वाली है?”
ज्योतिषी राजा का आशय समझ गया था!

और उसने बड़ी ही चतुराई से राजा को उत्तर दिया, – “आपकी मृत्यु के एक दिन पहले”

    राजा यह सुनकर अचम्भित हो गया और ज्योतिषी के ज्ञान और चतुराई का उसे समझ आया।

राजा ने ज्योतिष के ज्ञान की सराहना की और खुश होकर उसे अमूल्य उपहारों को देकर राजमहल से ससम्मान विदा किया।


” सीख |   ” कितना भी कठिन समय क्यों न हो हमें संयम औऱ बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए”।


” गधे की चतुराई “


एक बार की बात है, एक व्यापारी के पास एक गधा था। व्यापारी अपना सामान इधर-उधर ले जाने या फिर खुद कहीं जाने के लिए गधे का सहारा लेता था।

एक दिन व्यापारी ने बहुत सारी नमक की बोरियां घोड़े के ऊपर लाद दीं, जिसे शहर ले जाना था। बोरियां बहुत ही भारी थी जिससे कि गधे के ऊपर वजन बहुत ही ज्यादा हो गया।

लेकिन गधा अपने मालिक से कुछ नही कह सकता था।

गधे से उस दिन ठीक से चल भी नहीं जा रहा था । जैसे तैसे वो थोड़ी दूर तक गया।

शहर के रास्ते में एक नदी और दो-तीन छोटे नाले बहते थे। तो उस दिन जैसे ही नदी रास्ते मे आई तो नदी पार करते समय गधे का पैर फिसल गया,

और सारा नामक पानी में गिर गया और बह गया। व्यापारी वापस गधे को लेकर घर लौट आया 

गले दिन फिर से व्यापारी ने नमक का उतना ही वजन गधे पर लाद दिया।

गधा चलता गया लेकिन जैसे ही नदी आयी तो गधे के मन मे विचार आया,

कि अगर मैं कल के जैसे ही गिरने का बहाना करुं तो मुझे बोझ नहीं ढोना पड़ेगा और यह सोचकर वो फिर से पानी मे फिसल गया। गधे के ऐसा करने पर व्यापारी को उसकी चालाकी का पता चल गया।

उसे बहुत गुस्सा आया और वह गधे को घर ले आया और घर मे लाकर उसे लकड़ी से खूब पीटा।

अब अगले दिन जाते समय व्यापारी ने नमक की जगह रुई का ढेर उस पर लाद दिया। गधा खुश हुआ कि आज बोझ कम है। लेकिन आज भी गधे का मन बाजार जाने का नहीं था,

तो नदी पार करते समय फिर वह नदी में बैठ गया लेकिन इस बार जैसे ही वो नदी में बैठा उसके ऊपर लदी हुई रुई ने ढेर सारा पानी सोख लिया.

और अब रुई का वजन कई गुना बढ़ गया और उसे बाजार तक पहुँचने में परेशानी हुई।

वो दिन गधा कभी नहीं भुला और तब से गधे ने ऐसी मूर्खता करना बंद कर दी।


” सीख |  अपने कार्य को सावधानी और पूरी निष्ठा से करना चाहिए


Short Story:


” लालची करन “


करन एक बहुत ही प्यारा बच्चा था। उसे सब बहुत ही प्यार करते थे। करन को टॉफियां बेहद पसंद थीं । जो कोई भी उससे मिलने उसके घर जाता उसके लिए टॉफियां जरूर ले जाता।

     एक बार करन माँ के साथ अपनी मासी के घर गया। उसकी मासी को भी मालूम था कि करन को टॉफियां बहुत प्रिय हैं तो उसकी मासी ने पहले से ही टॉफी का पूरा डिब्बा लाकर घर में रख दिया।

जैसे ही करन उसकी मासी के घर पहुंचा तो उसकी मासी ने वो टॉफ़ी का डिब्बा खोलकर उसके सामने रख दिया और कहा, “जितनी मर्जी खा ले।”करन टॉफियां देखकर फूला नहीं समाया,

और झटपट उसने अपना हाथ डिब्बे में डाल दिया और मुट्ठी में जितनी भी टॉफियां समा सकती थी उसने पूरी लेनी चाही।

लेकिन डिब्बे का मुँह मुट्ठी के आकार से थोड़ा छोटा था तो उसकी मुट्ठी वहीं फँस गयी। तब उसकी मां ने उसे सलाह दी कि अगर वो मुठ्ठी से कुछ टॉफियां कम कर दे तो बात बन सकती है।

उसने माँ की बात सुनी और वैसा ही किया जैसा कि माँ ने बताया।

उसका टॉफियों से भरा हाथ आराम से डिब्बे के बाहर आ गया और उसने तब से लालच करना छोड़ दिया।


” सीख | लालच बुरी बला है।”


” घमण्डी मोर और शालीन सारस “


 एक जंगल में एक मोर था। वह बहुत सुंदर था।  उसको अपनी सुंदरता पर घमंड हो गया था। जंगल के पास एक नदी थी , मोर रोजाना उस नदी में जाकर अपनी परछाई देखता,

और खुद की तारीफ खुद करता। वह अपने बारे में कहता, “मेरे पंख कितने सूंदर हैं कितने मनमोहक रंग हैं इसमें। सच में, मैं दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूँ।”

    एक दिन मोर नदी में आईना देखने जा ही रहा था कि नदी किनारे एक सारस उसे मिल गया। सारस को देखते ही मोर ने मुँह फेर लिया और मोर सरस का अपमान कर कहने लगा,

“कितने बेरंग हो तुम! कितने सादे पंख हैं तुम्हारे!

Intrusting Part of this very short stories in hindi for class 1- सारस ने सहनशीलता से मोर को जवाब दिया,-

“वास्तव में तुम्हारे पंख बहुत ही सुंदर और अनेक रंगों वाले हैं और मेरे पंख सादे हैं। लेकिन तुम्हारे पंख तुम्हें ऊँचा नहीं उड़ा सकते ,

मेरे पंख जैसे भी हैं लेकिन मैं इनकी सहायता से पूरे आकाश की सैर कर सकता हूँ।”

इतना कहकर सारस आकाश में उड़ गया और मोर शर्मिंदगी से देखता रह गया।


” सीख | Hindi Short Moral Stories for Class 1- “सुंदरता की अपेक्षा उपयोगिता अधिक महत्वपूर्ण होती है।”




” शेर का हिस्सा “


     एक घनघोर जंगल था, जिसमे अनेक जानवर रहते थे। जंगल में सभी जानवर अपना पेट भरने के लिए शिकार करते थे,

तो एक बार भेड़िया, लोमड़ी और शेर साथ साथ शिकार करने निकले। शेर इन सब का लीडर था। शिकार के लिए उन्हें ज्यादा भटकना नहीं पड़ा। जल्द ही उन्हें एक भैंस मिल गई।

तीनों ने हमलाकर उस भैंस को मार डाला। फिर लोमड़ी ने भैंस के तीन टुकड़े कर डाले।

लेकिन तभी शेर ने दहाड़ते हुए कहा,- ” सब शिकार से दूर हट जाओ! यह मेरा भोजन है।”

लोमड़ी और भेड़िया कुछ समझ नहीं पा रहे थे उन्होंने शेर से बहस कर शुरू कर दी। तभी शेर ने कहा कि शिकार करने में , मैं तुम्हारा लीडर था तभी पहला हिस्सा मेरा है।

दूसरा हिस्सा भी मेरा ही है क्योंकि मुझे मेरे घर पर अपने परिवार का पेट भी भरना है।

और अगर तुम दिनों को तीसरा हिस्सा चाहिए तो मुझसे लड़ाई में जीत कर ये हिस्सा तुम ले जा सकते हो ।

बस फिर क्या था लोमड़ी और भेड़िये ने बिना कुछ कहे सारे हिस्से शेर के हवाले कर दिए  और वहाँ से चले गए।
और इस तरह सारे हिस्से शेर के हो गए।


” सीख |

” बल और बुद्धि का प्रयोग किसी भी परिस्थिति में जीत दिला सकता है। “


” सबक “


एक बार एक गांव में हरिया नाम का व्यक्ति रहता था। उसके पास एक घोड़ा और एक गधा था। हरिया को किसी काम से कुछ सामान लेने बाजार जाना था। वह गधा और घोड़ा दोनो को ही लेकर बाजार गया।

हरिया ने बाजार से सामान लिया और सारा समान गधे पर लाद दिया। सामान थोड़ा भारी था ।

गधा थोड़ी दूर तक चला और वो थक गया उसने घोड़े से कहा,-”  ये समान बहुत भारी है क्या आप थोड़ा बोझ अपनी पीठ पर रख लेंगे?”
घोड़े ने बड़ी क्रूरता से जवाब दिया,- “ये मेरा काम नहीं है चुपचाप चलते रहो।”

गधा चुप ही गया और कुछ दूर तक चलने के बाद उसके पैर लडखडाने लगे। फिर गधा वहीं पर गिर गया , उसके मुँह से गांज आने लगा।
हरिया ने ये देख कर सारा सामान घोड़े की पीठ पर लाद दिया। तब घोड़े को लगा कि वास्तव में बोझ तो बहुत भारी है।अगर मैं उस समय ही इसका आधा समान ले लेता,

तो मुझे अभी इतना भारी सामान नहीं उठाना पड़ता।


” सीख | Story for class 1 – “दूसरों के दुःख-दर्द में हाथ बंटाने से हमारा दुःख-दर्द भी कम हो जाता है।”

Short Moral Stories In Hindi:


” बुरी संगत ”


      गांव के एक किसान के खेत में रोजाना एक कौओ का झुंड आता था और फसल बर्बाद कर देता था। एक दिन किसान की नजर उन कौओं के झुंड में पड़ गयी।

किसान को बहुत क्रोध आया और उसने कौओं को सबक सिखाने का सोचा।

   अगले दिन किसान ने सुबह ही खेत में जाल बिछा दिया और उसके ऊपर कुछ अनाज के दाने डाल दिये।

कौए आए उन्होंन अनाज के दाने देखे और उसमें टूट पड़े।

ज्योंही कौए दाना चुगने नीचे आए वैसे ही वो सब जाल में फंस गए।

कौओं का कोलाहल और पंखों की फड़फड़ाने की आवाज सुनकर किसान आया और फँसे हुए कौओं को देख बहुत खुश हुआ।

पर जब उस किसान ने कौओ को गौर से देखा तो उसमें से एक करुण आवाज आ रही थी वो आवाज एक कबूतर की थी जो कि कौओं की संगत में पड़ा हुआ था।

किसान के मन में बिल्कुल दया भाव नहीं आया और अपने कुत्तों को सभी के ऊपर छोड़ दिया। कुत्तों ने थोड़ी ही देर में सभी पक्षियों को मार दिया!


” सीख | Short Stories with Moral for Class 1 – “बुरी संगत का असर हमेशा बुरा ही होता है।”



1. मुर्गा की अकल ठिकाने

( Hindi short stories with moral for kids )

एक समय की बात है , एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया , उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

Moral of this short hindi story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.

2. शेर का आसन

( Hindi short stories with moral for kids )

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा।  शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है , आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

नैतिक शिक्षा –

जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

Moral of this short hindi story –

Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.

3. रेलगाड़ी

( Hindi short stories with moral for kids )

 

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई , जो कुछ दिन पहले पापा – मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था , दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई   ,   अमेरिका गई  ,  नानी के घर गई ,  और दादाजी के घर भी गई। 

 

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

Moral of this short Hindi story – Boost the confidence of children because they are the future.

 

4. शरारती चूहा

( Hindi short stories with moral for kids )

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी।  चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था , उसने शरबत पीना था।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

Moral of this short hindi story – Hard work with smartness is the key to success. Always focus on smart work.

 

5. बिल्ली बच गई

( Hindi short stories with moral for kids )

 

ढोलू – मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते , पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे।  एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे।  उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू – मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू – मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू – मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

Moral of this short hindi story – Always try to help others. It will give real pleasure.

 

6. रितेश के तीन खरगोश राजा

( Hindi short stories with moral for kids )

रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे।  रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था।  स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका , और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

Moral of this short hindi story – Understand the agony of others. You will never feel any sorrow.

 7. दोस्त का महत्व

( Hindi short stories with moral for kids )

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं , पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है , वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई , इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

 


8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे , इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे , इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी , किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया , वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

मोरल –

संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

9. रानी की शक्ति

रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी । रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली , सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई।  वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।

रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए।  उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।

रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई – बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

फिर क्या था ?

सभी की पार्टी शुरू हो गई।

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

 

10. मोती का मित्र

मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

वह गाय इतनी प्यारी थी , मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

मोती ने गाय को गले लगा लिया , बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

मोरल –

  • गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
  • निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।



11. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी , वह रोने लगा।

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।

विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया।  कम से कम कवच से जान तो बचती है।

मोरल –

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

 

12. राजू की समझदारी – Laghu kahani

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती , वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

मोरल –

स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।


13. चुनमुन के बच्चे

बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया। यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है , उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।

चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।

चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची  करके चुनमुन को परेशान करते।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया , वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बैठा लेती।  फिर उड़ने के लिए कहती।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

चुनमुन ने सभी को घर चलने के लिए कहा।

सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।

 

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

 

 

14. कालिया को मिली सजा

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता , छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

 

मोरल –

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

 

15. सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता ,  सूर सिंह अकेला हो जाता।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।

वह बेहोश की हालत में हो गया।

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।

सिंहराज को वहां आता देख , सियारों के प्राण सूख गए।

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

 

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

 

16. बिच्छू और संत

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ।

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो , मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

 

मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

 

17. महात्मा बना विषधर

गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे।  विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।

 

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

 

18. चिंटू पिंटू की शरारत

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे , दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है , दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है , वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा – आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे , इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

 

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

 

19. साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी , तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

 

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

20.मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती , तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे , जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया , और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

मोरल –

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है

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